बॉलीवुड के मिस्टर परफेक्शनिस्ट आमिर खान ने हाल ही में मैशेबल इंडिया को दिए एक इंटरव्यू में मराठी सीखने के अपने सफर के बारे में दिलचस्प बातें शेयर कीं। इस बातचीत में उन्होंने बताया कि कैसे 44 साल की उम्र में उन्होंने मराठी सीखने का फैसला किया और यह उनकी जिंदगी का टर्निंग पॉइंट बन गया।
आमिर ने कहा, “मैं हिंदी और अंग्रेजी बोल सकता था, लेकिन मुझे अपनी मातृभाषा उर्दू पढ़नी नहीं आती थी और मैं मराठी भी नहीं पढ़ और बोल सकता था। मैं मराठी समझ सकता था, लेकिन बोलने में झिझकता था। मुझे लगा कि ये दोनों भाषाएं मेरे लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं, एक मेरी मातृभाषा और दूसरी मेरे राज्य की भाषा।”
यही सोच कर आमिर ने मराठी सीखने का फैसला किया. इस दौरान उनके साथ इरा, जुनैद और किरण भी क्लास में शामिल हुए. आमिर ने हंसते हुए कहा, “इरा एक दिन में चली गई, जुनैद चार दिन में, किरण एक हफ्ते में, लेकिन मैं चार साल तक सीखता रहा।”
आमिर खान के मराठी गुरु सुहास लिमये ने उनकी सीखने की यात्रा में विशेष भूमिका निभाई। आमिर ने कहा कि सुहास सर ने उन्हें न केवल भाषा बल्कि मराठी के इतिहास, भूगोल और संस्कृति से भी परिचित कराया।
“उन्होंने मुझे सिखाया कि विभिन्न देशों में वाक्यांशों का उपयोग कैसे किया जाता है। उनकी शिक्षण शैली बहुत दिलचस्प थी।”
गौरतलब है कि आमिर खान ने अपने लोकप्रिय टीवी शो सत्यमेव जयते के लिए मराठी सीखना शुरू किया था। इसी दौरान अतुल कुलकर्णी ने उनकी मदद की और उन्हें सुहास लिमये से मिलवाया.
सितंबर 2020 में जब सुहास लिमये का निधन हुआ तो आमिर ने सोशल मीडिया पर एक इमोशनल नोट लिखा। उन्होंने लिखा, “मुझे यह सुनकर बहुत दुख हुआ कि मेरे मराठी सर श्री सुहास लिमये का कल निधन हो गया। सर, आप सबसे अच्छे शिक्षकों में से एक रहे हैं। मैंने आपके साथ बिताए हर पल का आनंद लिया है। आपकी जिज्ञासा, और सीखने और साझा करने की आपकी इच्छा ने आपको एक शानदार शिक्षक बना दिया है। हमने एक साथ बिताए 4 साल सबसे यादगार रहे हैं। हमने जो भी पल एक साथ बिताया है वह मेरी स्मृति में अंकित है। आपने मुझे न केवल मराठी, बल्कि कई अन्य चीजें भी सिखाईं। धन्यवाद आप। आपकी बहुत याद आएगी, परिवार के प्रति मेरी हार्दिक संवेदना।”
आमिर खान के इस समर्पण से पता चलता है कि उम्र कभी भी सीखने में बाधा नहीं बन सकती और एक अच्छे शिक्षक को जीवन भर याद रखा जाता है।
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