Srikanth Movie Review: दृष्टिहीन श्रीकांत के किरदार में राजकुमार राव ने बिखेरा उजाला

Srikanth Movie Review: राजकुमार राव की श्रीकांत की समीक्षा पढ़िए।
Srikanth Movie Review: दृष्टिहीन श्रीकांत के किरदार में राजकुमार राव ने बिखेरा उजाला 46496

Srikanth Movie Review: बॉलीवुड के प्रतिभाशाली अभिनेता राजकुमार राव (Rajkummar Rao) की जितनी तारीफ की जाए उतनी ही कम है, क्योंकि उन्होंने इस बार एक कमाल के बायोपिक का विकल्प चुना है और उसमें जान फूंकी है। शुक्रवार की सुबह अभिनेता की श्रीकांत रिलीज हुई, जिसकी शुरुआत बेहद शानदार और प्रेरणादायक है। फिल्म हमें दृष्टिहीन श्रीकांत के दुनिय की सैर कराती हैं, जहां उन्हें कई सारे तकलीफों का सामना करना पड़ता है। हालांकि, श्रीकांत एक होनहार छात्र है, जो सारी मुसीबतों को पार करने में सफल होता है। तुषार हीरानंदानी के निर्देशन में बनी फिल्म में सब कुछ बेहतरीन है और उम्दा है। इसके अलावा फिल्म में मिश्रित भावनाओ का जादू है, जिससे दर्शको की नजरे पर्दे पर अटक जाती है। फिल्म की शुरुआत दमदार है, मगर दूसरे हाफ में फिल्म की गति की रफ्तार कमजोर पड़ती हुई नजर आती है।

शानदार कलाकारो की टोली

फिल्म में सबसे बेहतरीन काम मुझे ज्योतिका का लगा है, जो श्रीकांत को जीवन में आगे बढ़ने के लिए तैयार करती है। इसके अलावा राजकुमार राव ने भी अपने किरदार के साथ पूरी ईमानदारी की है। वहीं स्वाति के रूप में अलाया का भी जादू चलता हुआ दिखाई दिया है। कूल मिलाकर सभी कलक्रो ने बेहतरीन प्रदर्शन किया है।

श्रीकांत की कहानी

13 जुलाई, 1992 को आंध्र प्रदेश के मछलीपट्टनम में जन्मे श्रीकांत (राजकुमार राव) की शुरुआत बेहद तकलीफ भरी रहती है।श्रीकांत के पिता को जब पता चलता है, कि उनका बेटा जन्मांध है, तब उन्हें जोरदार धक्का लगता है। श्रीकांत को बचपन में दफन करने की भी कोशिश की जाती हैं, मगर उनकी मां उन्हें बचा लेती है। इसके साथ ही माता-पिता द्वारा उनके शिक्षा में कोई कमी नहीं की जाती है। लेकिन, इंडियन एजुकेशन सिस्टम के कारण श्रीकांत को काफी तकलीफ सहन करनी पड़ती है। इसी दौरान उन्हें उनकी यशोदा मां यानी उनकी नई टीचर (ज्योतिका) मिलती हैं, जो उन्हें हर राह पर चलना सिखाती है और उनकी पढ़ाई के लिए कोर्ट का दरवाजा खटखटाती है। 12 वीं में अच्छे अंक लाने के बाद भी श्रीकांत को भारत के किसी भी कॉलेज में जगह नहीं मिलती हैं, जिसके बाद उन्हें MIT, अमेरिका में जगह मिलती है। इसके अलावा श्री की मुलाकात स्वाति से होती हैं और वह फिर से भारत लौट आते हैं। अब भारत लौटने के बाद श्रीकांत ने क्या-क्या कमाल दिखाया, उसे देखने के लिए किसी नजदीकी सिनेमाघर में दस्तक दे।

फिल्म की रेटिंग

फिल्म एक भावुक और प्रेरणादायक कहानी की यात्रा पर लेकर जाती है और इस फिल्म को मनोरंजन न्यूज द्वारा 3.5 स्टार दिए गए हैं। फिल्म के ऐसे ही रिव्यू को पढ़ने के लिए बने रहे हमारे साथ।

विशाल दुबे: पत्रकारिता की पढ़ाई में 3 साल यु गंवाया है, शब्दों से खेलने का हुनर हमने पाया है, जब- जब छिड़ी है जंग तब कलम ने बाजी मारी हैं, सालों के तर्जुबे के संग अब हमारी बारी है।