जैसे ही ज़ी स्टूडियोज़ और प्रेरणा अरोड़ा प्रस्तुत ‘जटाधर’ कल रिलीज़ होने जा रही है, दर्शकों की उत्सुकता अपने चरम पर पहुँच चुकी है। फिल्म के रचनात्मक स्तंभ, निर्देशक अभिषेक जायसवाल और वेंकट कल्याण तथा निर्माता प्रेरणा अरोड़ा, बताते हैं कि किस तरह एक दशक लंबी रिसर्च, श्रद्धा और तैयारी ने इस शक्तिशाली सिनेमाई ब्रह्मांड को आकार दिया है, जहाँ दिव्यता और अंधकार का संगम होता है।
सुधीर बाबू और सोनाक्षी सिन्हा अभिनीत ‘जटाधर’ पारंपरिक सुपरनैचुरल थ्रिलर की सीमाओं से परे जाती है। यह फिल्म आस्था, आध्यात्मिक शक्ति और दैवीय अधिष्ठान की गहराइयों में उतरती है, जो भारत की धार्मिक और सांस्कृतिक चेतना में गहराई से निहित हैं।
फिल्म की प्रामाणिकता सुनिश्चित करने के लिए अभिषेक जायसवाल ने महीनों तक अवेशग्रस्त व्यक्तियों का अध्ययन किया, उनकी ऊर्जा के परिवर्तन, आवाज़ के उतार-चढ़ाव और शरीर की भाषा को बारीकी से देखा। इन्हीं अनुभवों ने फिल्म के सबसे तीव्र दृश्यों को भावनात्मक और शारीरिक रूप से जीवंत बनाया।
अभिषेक कहते हैं, “मैं चाहता था कि अभिनेता केवल अभिनय न करें, बल्कि उस अवस्था को महसूस करें। आवाज़ का बदलना, सांसों की लय, आंखों का भाव, हमने हर चीज़ को वास्तविक ऊर्जा से पुनःनिर्मित किया है। दर्शक सिर्फ देखें नहीं, बल्कि अनुभव करें।”
जहाँ अभिषेक ने व्यवहार पर ध्यान केंद्रित किया, वहीं वेंकट कल्याण ने कहानी के आध्यात्मिक और सांस्कृतिक पहलुओं में खुद को डुबो दिया। उन्होंने सोनाक्षी सिन्हा को वास्तविक ‘पिशाची’ प्रस्तुतियों से रूबरू कराया ताकि वह दैवीय आवेश को सच्चाई से आत्मसात कर सकें।
वेंकट बताते हैं, “सोनाक्षी बेहद समर्पित थीं। वह एक भी पल नकली नहीं दिखाना चाहती थीं। उन्होंने असली पिशाची अनुष्ठानों को देखा, वहाँ की आक्रोश, भक्ति और रूपांतरण को समझा। उन्होंने सब कुछ आत्मसात किया और बेहद सशक्त प्रदर्शन दिया।”
वेंकट, जो पिछले दस वर्षों से ‘जटाधर’ पर काम कर रहे हैं, ने तेलंगाना के बोनालू जैसे त्योहारों में भाग लेकर दैवीय ऊर्जा की असली अनुभूति हासिल की।
वह कहते हैं, “बोनालू ने मुझे सिखाया कि दैवीय ऊर्जा कैसी होती है, एक साथ अराजक, सुंदर और पवित्र। मैंने दस वर्षों में ‘जटाधारा’ को इस द्वैत भावना को पकड़ने के लिए संवारा है, जहाँ भक्ति और विनाश एक दूसरे से टकराते हैं।”
निर्माता प्रेरणा अरोड़ा, जो गहराई और सशक्त कथानक वाली फिल्मों के लिए जानी जाती हैं, बताती हैं कि ‘जटाधर’ आध्यात्मिकता और कहानी कहने की एक दुर्लभ संगम है।
वह कहती हैं, “‘जटाधर’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, यह एक आध्यात्मिक अनुभव है। शोध से लेकर दृश्य निर्माण तक, हर तत्व सत्य पर आधारित है। हम चाहते थे कि दर्शक केवल एक कहानी न देखें, बल्कि ऐसी अनुभूति करें जो दैवीय ऊर्जा से सजीव हो।”
वह आगे जोड़ती हैं, “अभिषेक, वेंकट, सोनाक्षी और सुधीर, पूरी टीम ने इस फिल्म में जो मेहनत और भावना डाली है, उसने इसे एक बार मिलने वाला सिनेमाई अनुभव बना दिया है।”
फिल्म में दिव्या खोसला (स्पेशल अपीयरेंस), शिल्पा शिरोडकर, इंदिरा कृष्णा, रवि प्रकाश, नवीन नेनी, रोहित पाठक, झांसी, राजीव कनकला और सुभलेखा सुधाकर भी महत्वपूर्ण भूमिकाओं में हैं।
ज़ी स्टूडियोज़ और प्रेरणा अरोड़ा द्वारा प्रस्तुत ‘जटाधारा’ एक द्विभाषी सुपरनैचुरल फैंटेसी थ्रिलर है, जिसका निर्माण उमेश कुमार बंसल, शिविन नारंग, अरुणा अग्रवाल, प्रेरणा अरोड़ा, शिल्पा सिंगल और निखिल नंदा ने किया है। अक्षय केजरीवाल और कुसुम अरोड़ा सह-निर्माता हैं, जबकि दिव्या विजय क्रिएटिव प्रोड्यूसर और भाविनी गोस्वामी सुपरवाइजिंग प्रोड्यूसर हैं।
ज़ी म्यूज़िक कंपनी द्वारा समर्थित यह फिल्म वर्ष की सबसे महत्वाकांक्षी और दृश्य रूप से अद्भुत सिनेमाई कृतियों में से एक बनने का वादा करती है, आस्था, नियति और प्रकाश-अंधकार के अनंत संग्राम की एक भव्य गाथा।
