सोनाक्षी सिन्हा और सुधीर बाबू अभिनीत मैग्नम ओपस ‘जटाधारा’ अपनी रिलीज़ से पहले ही दर्शकों में जबरदस्त उत्साह पैदा कर रही है और हाल ही में सामने आए एक बिहाइंड-द-सीन्स खुलासे ने फिल्म की गहराई और इसकी प्रामाणिकता के प्रति निर्माताओं की प्रतिबद्धता को और भी उजागर कर दिया है।
वेंकट कल्याण और अभिषेक जायसवाल द्वारा निर्देशित ‘जटाधारा’ केवल एक अलौकिक ड्रामा नहीं, बल्कि संस्कृति, अनुष्ठान और भावनाओं से जुड़ी एक सिनेमाई यात्रा है।
रिपोर्ट्स के अनुसार, फिल्म की शूटिंग के दौरान टीम ने एक अहम सीक्वेंस के लिए न सिर्फ वास्तविक तांत्रिक अनुष्ठान करवाए, बल्कि सच्चे मंत्रों का जाप भी करवाया, जिससे दृश्य को आध्यात्मिक रूप से प्रामाणिक और ऊर्जावान बनाया जा सके। सांस्कृतिक और धार्मिक सटीकता सुनिश्चित करने के लिए निर्माताओं ने गहन शोध किया और अपने काम में महारत हासिल कर चुके तांत्रिकों से परामर्श लिया, जिन्होंने सेट पर अनुष्ठान का मार्गदर्शन किया।
कास्ट और क्रू के अनुसार, उन दिनों का माहौल एक सामान्य फिल्म शूट जैसा नहीं था, बल्कि विशेषज्ञ तांत्रिकों की निगरानी में, सभी की सुरक्षा व सहजता को ध्यान में रखते हुए, पूरी सावधानी और सम्मान के साथ अनुष्ठान करवाए गए।
इस संदर्भ में निर्देशक वेंकट कल्याण कहते हैं, “हम सिर्फ उस ऊर्जा को दोहराना नहीं चाहते थे, बल्कि हम उसे महसूस करना चाहते थे। ‘जटाधारा’ जैसी कहानी में बात सिर्फ दृश्यों या इफेक्ट्स की नहीं है, बल्कि उस गहराई को जगाने की है जो मनुष्य को अदृश्य से जोड़ती है। ये अनुष्ठान दिखावे के लिए नहीं थे, बल्कि सच्चाई के लिए थे, जिससे हमारे लिए साथ दर्शकों के लिए भी यह अनुभव पवित्र और वास्तविक बन सके।”
निर्माता प्रेरणा अरोड़ा ने अपनी भावनाएं साझा करते हुए कहा, “‘जटाधारा’ सिर्फ एक फिल्म नहीं, बल्कि आस्था और निर्भीकता से जन्मा एक अनुभव है। हम ऐसा संसार बनाना चाहते थे जो सच्चा लगे। हर मंत्र, हर अनुष्ठान, हर भावना, सब कुछ सच्चाई से उपजा था। सेट की ऊर्जा शब्दों से परे थी और ऐसा लग रहा था जैसे सिनेमा और दिव्यता का संगम हो गया हो।”
सह-निर्देशक अभिषेक जायसवाल भी कहते हैं, “जब आप रहस्यमय तत्वों को दिखाने की कोशिश करते हैं, तो विजुअल इफेक्ट्स पर निर्भर होना आसान है, लेकिन हम प्रामाणिकता चाहते थे। वो कंपन, वो ध्वनि, जो प्राचीन अनुष्ठानों में होती है उन्हें दिखाना बेहद ज़रूरी था। विशेष रूप सेट पर वे पल बेहद शक्तिशाली थे, और मुझे यकीन है दर्शक भी स्क्रीन पर उसकी तीव्रता महसूस करेंगे।”
भव्य पैमाने और भावनात्मक गहराई से भरी कहानी के ज़रिए ‘जटाधारा’ आस्था, भय और भक्ति जैसे विषयों को नए दृष्टिकोण से प्रस्तुत करने जा रही है। यह फिल्म दर्शकों को एक ऐसी दुनिया में ले जाएगी जहां रहस्य और मानवता का संगम होता है।
ज़ी स्टूडियोज़ और प्रेरणा अरोड़ा द्वारा प्रस्तुत ‘जटाधारा’ एक द्विभाषी (बाइलिंगुअल) सुपरनैचुरल फैंटेसी थ्रिलर है, जिसका निर्माण उमेश कुमार बंसल, शिविन नारंग, अरुणा अग्रवाल, प्रेरणा अरोड़ा, शिल्पा सिंघल और निखिल नंदा ने किया है। फिल्म में अक्षय केजरीवाल और कुस्सुम अरोड़ा सह-निर्माता, दिव्या विजय क्रिएटिव प्रोड्यूसर और भविनी गोस्वामी सुपरवाइजिंग प्रोड्यूसर हैं।
फिल्म में सुधीर बाबू और सोनाक्षी सिन्हा के साथ दिव्या खोसला, शिल्पा शिरोडकर, इंदिरा कृष्णा, रवि प्रकाश, नवीन नेनी, रोहित पाठक, झांसी, राजीव कनकाला और सुबलेखा सुधाकर जैसे कलाकार अहम भूमिकाओं में दिखाई देंगे।
सच कहें तो ज़ी म्यूज़िक कंपनी द्वारा प्रस्तुत इसके शक्तिशाली साउंडट्रैक के साथ, ‘जटाधारा’ वर्ष की सबसे महत्वाकांक्षी और दृष्टिगत रूप से शानदार सिनेमाई प्रस्तुतियों में से एक साबित होने जा रही है। यह एक ऐसी महागाथा होगी, जो आस्था, नियति और प्रकाश-अंधकार के अनंत संघर्ष की कहानी कहती है।
