सलमान खान का नाम आते ही बॉलीवुड का सबसे बड़ा सुपरस्टार याद आता है। तीन दशक से ज़्यादा के करियर में उन्होंने ऐसी-ऐसी फिल्में दी हैं, जो न सिर्फ बॉक्स ऑफिस पर छा गईं बल्कि लोगों की यादों में भी बस गईं। उनके किरदारों में जो बात सबसे ज़्यादा पसंद की गई है, वो है उनका दमदार और करिश्माई अंदाज़। और जब वो पुलिसवाले की वर्दी पहनते हैं, तो मानो पर्दे पर बिजली सी गिरती है। ऐसे किरदारों में उनका जलवा कुछ और ही होता है।
सलमान खान ने पर्दे पर ‘वांटेड’, ‘गर्व’, ‘राधे’ और ‘दबंग’ जैसी फिल्मों में पुलिस की वर्दी पहनकर खूब धमाल मचाया है। उनकी दबंग स्टाइल और बिंदास अंदाज़ ने हर बार दर्शकों का दिल जीता है। लेकिन क्या आपको पता है कि सलमान का पुलिस फोर्स से रिश्ता सिर्फ फिल्मों तक सीमित नहीं है? असल ज़िंदगी में भी उनका एक गर्व से भरा कनेक्शन रहा है, सलमान के दादा अब्दुल रशीद खान ब्रिटिश दौर में DIG (डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल) थे। यानी सलमान की बहादुरी और दबंगई उनके खून में है।
सलमान खान की जड़ें एक सम्मानित और सेवाभाव से भरी विरासत से जुड़ी हैं। उनके दादा अब्दुल रशीद खान ब्रिटिश राज के दौरान इंदौर रियासत में डिप्टी इंस्पेक्टर जनरल (DIG) के पद पर तैनात थे, जो उस दौर में किसी भारतीय अधिकारी को मिलने वाला सबसे ऊंचा ओहदा था। उन्होंने अपने करियर की शुरुआत ASP (असिस्टेंट सुपरिटेंडेंट ऑफ पुलिस) के तौर पर की थी और फिर DIG बने। उनकी सेवा और समर्पण के चलते उन्हें मध्य प्रदेश के खंडवा ज़िले के पास मंडलेश्वर में एक सरकारी बंगला भी आवंटित किया गया था, जहां वो 1942 से 1948 तक रहे। बाद में उनके बेटे सलीम ख़ान फिल्मों की दुनिया में आए और परिवार को मुंबई ले आए। आज सलमान, अरबाज़ और सोहेल ख़ान अपने पिता का नाम बॉलीवुड में आगे बढ़ा रहे हैं, लेकिन उनके परिवार की यह बहादुर विरासत भी उतनी ही क़ाबिल-ए-फ़ख्र है, जिसने वर्दी में रहते हुए देश की सेवा की थी।
सलमान खान के दादा अब्दुल रशीद खान को बहादुरी और देशसेवा के लिए इंदौर की होलकर रियासत ने “दिलेर जंग” की उपाधि से नवाज़ा था। ये सिर्फ एक सम्मान नहीं, बल्कि इस बात का सबूत है कि सलमान खान का परिवार एक गौरवशाली और देशभक्त विरासत से जुड़ा हुआ है। सलमान और उनके पिता सलीम खान दोनों का जन्म इंदौर में हुआ था। जहाँ सलीम खान ने एक शानदार स्क्रीनराइटर के तौर पर अपनी पहचान बनाई, वहीं सलमान खान आज भारतीय सिनेमा के सबसे बड़े सितारों में शुमार हैं। ये सिर्फ फिल्मों की कहानी नहीं, बल्कि एक ऐसे परिवार की सच्ची दास्तान है जो मेहनत, सेवा और देशभक्ति की नींव पर खड़ा है।